श्रीरंगलक्ष्मी आदर्श संस्कृत महाविद्यालय

वृन्दावन, मथुरा , उ.प्र. -२८११२१

(शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार एवं केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जनकपुरी, नई दिल्ली की आदर्श योजना के अंतर्गत)

वेदान्त

वेदान्त

आम आदमी इस असार रूपी संसार में परेशान होकर अपने कल्याण की कामना से इधर-उधर भटकता रहता है। अनेक प्रकार के उपाय करने पर भी जब घोर दुःख नष्ट नहीं होता और सुख प्राप्त नहीं होता, तो ऋषियों के उपदेश से ज्ञात होता है कि वेद ही दुःखों से मुक्ति का एकमात्र साधन है। वेद भी एक लाख मन्त्रों से विशाल होने के कारण कलिकाल से पीड़ित अल्पबुद्धि व्यक्ति सम्पूर्ण वेदार्थ को समझने में असमर्थ होता है, इसी बात को ध्यान में रखकर मन्त्रद्रष्टा ऋषियों ने काण्डत्रय वेदों में कर्मकाण्ड एवं पूजा काण्डों की उपेक्षा करके केवल ज्ञान की रचना की है। कांडा। आध्यात्मिक दर्शन में केवल वेदांत दर्शन को ही विस्तृत रूप से प्रतिष्ठापित किया गया है, वेदांत दर्शन में भी श्रीधाम वृन्दावनस्थ श्रीरंगमंदिर द्वारा विशेष रूप से श्रुति स्मृति युक्ति सिद्ध विशिष्टाद्वैत वेदांत दर्शन के प्रचार-प्रसार के लिए श्रीरंग लक्ष्मी आदर्श संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना की गई है। इस महाविद्यालय को सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी से वेदांत विषय की मान्यता प्राप्त है। वेदांत यानी ब्रह्मसूत्र उपनिषद और श्रीमद्भगवद्गीता इन तीनों को प्रस्थानत्रयी कहा जाता है। इस प्रस्थानत्रयी पर लगभग आठ आचार्यों ने अपने-अपने अनुभव के अनुसार टिप्पणियाँ की हैं। भाग्य आठ होने के कारण वेदांत आठ के नाम से भी प्रसिद्ध है। जैसे शंकरवेदांत, रामानुजवेदांत, माधववेदांत, निम्बार्कवेदांत, गौड़ीयवेदांत, रामानंदवेदांत, शक्तिविष्टदावैतवेदांत अपने भेद के लिए प्रसिद्ध हैं। उपर्युक्त सभी वेदांतों का अध्ययन एवं अध्यापन निर्बाध एवं आतिथ्य सत्कार के साथ किया जा रहा है। विद्यार्थी अथवा जिज्ञासु इन वेदान्तों में से किसी एक को अपने मत के अनुसार स्वीकार करते हैं और अध्ययन, श्रवण, मनन तथा निदिध्यासन करते रहते हैं। कॉलेज की स्थापना का उद्देश्य भी यही है.
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डॉ अनिनलानंद

सहायक प्रोफेसर वेदांत