प्राचीन संस्कृत साहित्य से यह प्रतिपादित होता है कि सभी शास्त्रों का प्रारम्भ भगवान ब्रह्मा ने किया था। उसके बाद देवगुरु बृहस्पति ने व्याकरण का उपदेश दिया। फिर देवराज इंद्र, भरद्वाज, ऋषियों, ब्राह्मणों ने ऐसा किया
मध्यकाल में शकटायन, स्फोटायन आदि ने किया। इसके बाद के काल में भगवान पाणिनि तथा इससे सम्बंधित आचार्यों ने किया।
इस प्रकार गुरु-शिष्य परंपरा से प्राप्त व्याकरण बुरे शब्दों को अलग करके अच्छे शब्दों का ज्ञान कराता है।